यदि आप अपने पोर्टफोलियो में स्टॉक, म्यूचुअल फंड या बॉन्ड से आगे जाना चाहते हैं, तो ऑप्शंस एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आज इस लेख में जानेंगे की ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होती है (option trading in hindi) और कैसे की जाती है।
डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग (derivatives meaning in hindi) में ऑप्शंस आपको विविधीकरण (Diversification) के विकल्प देते हैं। और क्योंकि ऑप्शन में जोखिम अधिक हो सकते हैं, वैसे ही रिटर्न और मुनाफे की अपेक्षा आप कर सकते है।
एक शुरूआती ट्रेडर के लिए ऑप्शंस ट्रेडिंग करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि ऑप्शंस कुछ ऐसे हैं जो वस्तुतः कोई भी आसानी से सीखकर ट्रेड कर सकता है – सही जानकारी के साथ।
ऑप्शंस ट्रेडिंग भारत में सबसे ज्यादा की जाती है, क्योंकि ऑप्शंस ट्रेडिंग करने के बहुत से फायदे है जिन्हे हम आगे समझेंगे। अभी हम ये देखते है कि ऑप्शंस ट्रेडिंग क्या है? और ऑप्शंस ट्रेडिंग कैसे काम करते है।
ऑप्शंन ट्रेडिंग क्या है?
ऑप्शन ट्रेडिंग एक ऐसा कॉन्ट्रेक्ट है जो आपको किसी खास तारीक को एक खास कीमत पर सिक्योरिटी को खरीदने या बेचने का अधिकार देती हैं लेकिन इसके दायित्व नहीं देता।
सरल भाषा में समझे तो ऑप्शंस एक कॉन्ट्रेक्ट है जो एक अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Asset) से जुड़ा होता है, उदाहरण के लिए, एक स्टॉक या इंडेक्स। ऑप्शंस कॉन्ट्रेक्ट एक निर्धारित समय अवधि के लिए होते हैं, जो सप्ताह से लेकर या महीनों तक हो सकता है।
जब आप कोई ऑप्शंस खरीदते हैं, तो आपके पास अंतर्निहित परिसंपत्ति (Underlying Asset) को ट्रेड करने का अधिकार होता है, लेकिन आप इसके लिए बाध्य नहीं होते हैं। यदि आप ऐसा करने का निर्णय लेते हैं, तो इसे ऑप्शंस का प्रयोग करना कहते हैं।
ऑप्शन ट्रेडिंग के प्रकार
ऑप्शन ट्रेडिंग में आप किसी भी सिक्योरिटी, इंडेक्स या स्टॉक में ट्रेड कर सकते है। यहाँ पर आप स्टॉक को लेकर बुलिश है या बेयरिश उसके आधार पर आप ऑप्शन में ट्रेड कर सिक्योरिटी को स्ट्राइक प्राइस पर खरीदने या बेचने का अधिकार प्राप्त कर सकते है।
अब यहाँ पर आप ऑप्शन को किस मानसिकता या ट्रेंड के आधार पर ट्रेड कर रहे है उसके अनुसार दो तरह के ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट होते है:
- कॉल ऑप्शन
- पुट ऑप्शन
1. कॉल ऑप्शन
एक कॉल ऑप्शन आपको एक निश्चित समय अवधि के भीतर निर्दिष्ट मूल्य पर एक किसी भी स्टॉक या इंडेक्स को खरीदने का अधिकार देता है लेकिन दायित्व नहीं देता। यहाँ पर ऑप्शन खरीदने के लिए आपको एक राशि का भुगतान करना होता है जिसे आप प्रीमियम कहते है।
कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने की आखिरी तिथि को समाप्ति तिथि कहा जाता है।
आसान शब्दों में कहे तो, अगर आपको लगता है किसी स्टॉक या इंडेक्स की प्राइस ऊपर जाने वाला है तब आप उसका कॉल ऑप्शन खरीद सकते है, जिसमें की आप कम कैपिटल के साथ अच्छा लाभ बना सकते है।
2. पुट ऑप्शन
एक पुट ऑप्शन कॉल ऑप्शन के विपरीत है। एक किसी भी स्टॉक या इंडेक्स खरीदने का अधिकार होने के बजाय, एक पुट ऑप्शन आपको इसे एक निर्धारित स्ट्राइक मूल्य पर बेचने का अधिकार देता है।
आसान शब्दों में कहे तो, अगर आपको लगता है किसी स्टॉक या इंडेक्स की प्राइस नीचे जाने बाली है तब आप उसका पुट ऑप्शन खरीद सकते है, जिसमें की आप कम कैपिटल के साथ अच्छा लाभ बना सकते है।
अब ये तो हुए ऑप्शन के प्रकार, अब बात करते है की आप ऑप्शन में किस तरह से ट्रेड कर सकते है।
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते है?
आप्शन ट्रेडिंग एक ऐसी चीज है जो आप एक ऑनलाइन ब्रोकरेज खाते के माध्यम से कर सकते हैं जो स्व-निर्देशित ट्रेडिंग की अनुमति देता है।
तो ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए सबसे पहले आपको एक ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा। ट्रेडिंग अकाउंट खोलने के बाद आप स्टॉकब्रोकर द्वारा दिए गए ट्रेडिंग एप का इस्तेमाल कर ऑप्शन में ट्रेड कर सकते है।
ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए कुछ ज़रूरी टर्म्स है जिसके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए:
- स्टॉक सिंबल :- स्टॉक सिंबल से तात्पर्य है कि एक ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट से जुड़ी किसी स्टॉक या इंडेक्स की पहचान करने के लिए क्या उपयोग किया जाता है। जैसे – Nifty 16000 CE
- समाप्ति तिथि :– वह तिथि है जिस पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट समाप्त हो जाएगा यानी की एक्सपायरी डेट।
- स्ट्राइक मूल्य :- वह मूल्य है जिस पर आप ऑप्शन का प्रयोग करने में सक्षम होते हैं।
- प्रीमियम :- ऑप्शन के कॉन्ट्रेक्ट को खरीदने की लागत को प्रीमियम कहते है।
ये सभी कारको का विवरण आपको ऑप्शन चेन (what is option chain in hindi) में मिल जाएगा। अब जैसे की हमने बताया की ऑप्शन दो प्रकार के होते है तो आइये जानते है कि पुट और कॉल ऑप्शन में ट्रेड कैसे करें।
पुट ऑप्शन ट्रेड कैसे करें?
जब आप एक पुट ऑप्शन खरीदते हैं, तो आप एक कॉन्ट्रेक्ट खरीद रहे होते हैं जो आपको एक निश्चित मूल्य पर एक निश्चित समाप्ति तिथि तक सिक्योरिटी को बेचने का विकल्प देता है। एक पुट खरीदने से पहले, कुछ बातों पर विचार करना चाहिए:
- आप कितने लोट में ट्रेड करने बाले है?
- आप किस प्रकार की एक्सपायरी के लिए ट्रेड करना चाहते हैं?
- आपका अधिकतम कितना जोकिम ले सकते है?
- क्या मार्केट में ज्यादा Volatility है?
पुट ऑप्शंस खरीदना समझ में आता है अगर आपको लगता है कि किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत समाप्ति तिथि से पहले नीचे जाने वाली है तो वहाँ पर आप गिरते हुए दाम से मुनाफा कमाने के लिए पुट ऑप्शन खरीदते है। यदि आप एक स्ट्राइक प्राइस पर पुट ऑप्शन खरीदते हैं, तो जैसे–जैसे उस एसेट की कीमत गिरती है, तो आपको लाभ होगा।
उदाहरण के लिए, मान लें कि आप एबीसी कंपनी के 100 शेयरों के लिए 50 रुपयें प्रति शेयर पर पुट ऑप्शन खरीदते हैं। ऑप्शंस की समाप्ति तिथि से पहले, स्टॉक की कीमत गिरकर 25 प्रति शेयर हो जाती है।
यदि आप अपने ऑप्शन का प्रयोग करना चुनते हैं, तब भी आप स्टॉक के 100 शेयरों को 50 प्रति शेयर की उच्च कीमत पर बेचने का अधिकार रखते है।
कॉल ऑप्शन ट्रेड कैसे करें?
कॉल ख़रीदने का मतलब है कि आप एक निश्चित समाप्ति तिथि तक किसी विशेष स्टॉक या संपत्ति को खरीदने के लिए एक कॉन्ट्रेक्ट खरीद रहे हैं। कॉल ऑप्शन खरीदते समय, उन्हीं कारकों पर विचार करना महत्वपूर्ण है जो आप पुट ऑप्शन खरीदते समय करेंगे।
कॉल ऑप्शन खरीदना समझ में आता है यदि आपको लगता है कि किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत समाप्ति तिथि से पहले बढ़ने वाली है।
उदाहरण के लिए, मान लें कि आप एबीसी कंपनी के 100 शेयरों के लिए 50 रुपयें प्रति शेयर पर कॉल ऑप्शन खरीदते हैं। ऑप्शंस की समाप्ति तिथि से पहले, स्टॉक की कीमत बढकर 75 प्रति शेयर हो जाती है। यदि आप अपने ऑप्शन का प्रयोग करना चुनते हैं, तब भी आप स्टॉक के 100 शेयरों को 75 प्रति शेयर की उच्च कीमत पर बेच सकते हैं।
ऑप्शन का मूल्य किस तरह निर्धारित किया जाता है?
ऑप्शन मूल्य निर्धारण की गणना विभिन्न मॉडलों का उपयोग करके की जा सकती है। लेकिन इसके मूल में, ऑप्शन ट्रेडिंग की कीमतें दो चीजों पर आधारित होती हैं:
- आंतरिक मूल्य (Intrinsic Value)
- समय मूल्य (Time Value).
इन दोनों वैल्यू के लिए शेयर मार्केट का गणित से अवगत होना ज़रूरी होता है। एक ऑप्शन का आंतरिक मूल्य की गणना, स्ट्राइक मूल्य और स्टॉक या इंडेक्स की वर्तमान कीमत के बीच के अंतर के आधार पर होती है। ये वैल्यू आपको बताता है कि अगर आप अभी इस ऑप्शन में ट्रेड करते है तो कितना मुनाफा कमा सकते है।
दूसरी तरफ है समय मूल्य, जिसका उपयोग यह मापने के लिए किया जाता है कि समाप्ति तिथि तक अस्थिरता (Volatility) किसी स्टॉक या इंडेक्स की कीमत को कैसे प्रभावित कर सकती है। ऑप्शन ट्रेडिंग में हर बीतते दिन के साथ टाइम वैल्यू कम होती रहती है, जिसे टाइम डीके (time decay in options in hindi) कहा जाता है।
अब क्योंकि ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में अंडरलाइंग एसेट की सेटलमेंट भविष्य में निर्धारित समय में की जाती है तो यहाँ पर इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी (IV in option chain in hindi) की मदद से प्रीमियम की वैल्यू में आये बदलाव, रिस्क और रिटर्न की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
IV की वैल्यू जितनी ज़्यादा होती है ऑप्शन प्रीमियम उतना ही ज़्यादा होता है।
स्टॉक मूल्य, स्ट्राइक मूल्य और समाप्ति तिथि सभी ऑप्शन मूल्य निर्धारण में कारक हो सकते हैं। स्टॉक मूल्य और स्ट्राइक मूल्य आंतरिक मूल्य को प्रभावित करते हैं, जबकि समाप्ति तिथि समय मूल्य को प्रभावित कर सकती है।
Option Trading Strategies in Hindi
एक बार जब आप ऑप्शन के बुनियादी ज्ञान में महारत हासिल कर लेते हैं, तो आपको अधिक उन्नत ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीतियों में रुचि हो सकती है।
जैसा कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग के साथ अधिक सहज हो जाते हैं, आपके ट्रेडिंग के प्रयासों में इनमें से कुछ आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली रणनीतियाँ को शामिल किया जा सकता है।
1. कवर्ड कॉल्स
एक कवर की गई कॉल रणनीति के दो भाग होते हैं: आप किसी स्टॉक या इंडेक्स के ऑप्शन को खरीदते हैं। फिर आप उसी स्टॉक या इंडेक्स के लिए कॉल ऑप्शन बेचते हैं। जब तक स्टॉक स्ट्राइक मूल्य से ऊपर नहीं जाता है, तब तक आप अपनी संपत्ति के लिए कॉल ऑप्शन बेचकर लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
2. लॉन्ग स्ट्रैडल
लॉन्ग स्ट्रैडल बनाने के लिए एक ही स्ट्राइक मूल्य और एक ही समय में समाप्ति तिथि के साथ कॉल और पुट ऑप्शन खरीदना शामिल है। लॉन्ग स्ट्रैडल, ऑप्शन ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने बाली स्ट्रेटजीओ में से एक है अगर किसी ट्रेडर को अनुमान नही हो पा रहा है कि माकेट किस दिशा में जाने बाला है तब इस स्थिती में बह लॉन्ग स्ट्रैडल बना सकता है, फिर मार्केट जिस भी दिशा में तेजी से जायेगी उसको ज्यादा से ज्यादा लाभ होगा।
इस स्ट्रेटजी का उपयोग हम किसी इवेंट के मौके पर करते हैं क्योंकि उस समय हमें पता नहीं होता है कि मार्केट ऊपर जायेगी या फिर नीचे जायेगी। इसलिए हम लॉन्ग स्ट्रैडल बनाते हैं जिससे कि मार्केट किसी भी दिशा में जाए हमें ज्यादा से ज्यादा लाभ हो।
3. लॉन्ग स्ट्रैगंल
लॉन्ग स्ट्रैगंल भी ऑप्शन ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा उपयोग की जाने बाली स्ट्रेटजीओ में से एक है एक लांग स्ट्रैगंल रणनीति में एक ही स्टॉक या इंडेक्स के लिए दो अलग –अलग स्ट्राइक मूल्य और एक ही समय में समाप्ति तिथि के साथ कॉल और पुट ऑप्शन खरीदना शामिल है। इस रणनीति का उपयोग तब किया जा सकता है जब कोई ट्रेडर अनिश्चित होता है कि बह स्टॉक या इंडेक्स की कीमतें किस दिशा में जाने की संभावना है।
लॉन्ग स्ट्रैंगल, लॉन्ग स्ट्रैडल के समान ही है लेकिन उनके बीच सिर्फ थोडा सा अंतर यह है कि – एक स्ट्रैडल में, हमें एटीएम स्ट्राइक प्राइस के कॉल और पुट ऑप्शन खरीदने होते हैं जबकि स्ट्रैंगल में ओटीएम कॉल और पुट ऑप्शन खरीदना होता है।
लॉन्ग स्ट्रैंगल, लॉन्ग स्ट्रैडल मुकाबले थोडा कम जोकिम भरा है लेकिन इसमें कम लाभ भी मिलता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स
यदि आप ऑप्शन ट्रेडिंग के शुरुआती दौर में हैं, तो आरंभ करते समय इन शेयर मार्केट टिप्स को ध्यान में रखें।
- सही स्ट्राईक प्राइस का चयन
लोगों में सस्ती दर पर चीजें खरीदने की प्रवृत्ति होती है और उसी अवधारणा को वे ऑप्शन में ट्रेड करते समय भी लागू करते हैं। इसलिए, ट्रेडर्स आम तौर पर कम प्रीमियम पर उपलब्ध आउट-ऑफ-द-मनी स्ट्राइक खरीदारी करना चाहते हैं; लेकिन, उस स्ट्राइक प्राइस के इन-द-मनी बनने की संभावना बहुत कम है।
इस लिए हमेशा ऐसी स्ट्राईक प्राइस का चयन करे, जहां आपको लगता है कि बहां प्राइस जा सकती है। क्योंकि अगर प्राइस आपकी स्ट्राईक प्राइस तक नही पहुचती है तो थीटा डिके के कारण आपके नुकसान की संम्भावना ज्यादा है।
- ऑप्शन ट्रेडिंग में रिस्क को मैंनेज करे।
ऑप्शन ट्रेडिंग में ज्यादा लाभ की संम्भाना के साथ – साथ बहुत ज्यादा जोकिम भी होता है, इसलिए ये जरुरी हो जाता है कि आप अपने रिस्क को सही से मैंनेज करे। आपने अक्सर फिल्मों में देखा होगा कि कुछ लोग जंगल में किसी रिसर्च के लिए जाते है और उनका ऐरोप्लेन क्रैश हो जाता है, जिसमें से सिर्फ एक आदमी जीवित बचता है।
अब उसको अगर इस अंजान जंगल में जिंदा रहना है तो उसे सरवाइव करना होगा। ठीक इसी प्रकार अगर आपको ट्रेडिंग में बने रहना है तो आपको ट्रेडिंग में सरवाइव करना होगा, जोकि आप सिर्फ रिस्क मैंनेजमेंट सीखकर ही कर सकते है।
ऑप्शंन ट्रेडिंग बहुत जोकिम भरी हो सकती है इस लिए आपको ऑप्शंन को बहुत ध्यान से ट्रेड करना है। जोकिम को कम करने का सबसे अच्छा तरीका है कि पहले ऑप्शंन ट्रेडिंग को अच्छे से समझ ले की कैसे काम करती है, उसके बाद आपको रिस्क मेंनेजमेंट की तकनीको को सीखना होगा। जिससे आप अपने जोकिम को कम से कम रख सके और ज्यादा लाभ बना सके।
- ऑप्शंस में समय मूल्य का व्यवहार
ऑप्शंस में प्रीमियम में दो घटक होते हैं, आंतरिक मूल्य(Intrinsic Value) और समय मूल्य(Time Value). मान लीजिए, XYZ कंपनी ₹920 पर ट्रेड कर रहा है और 900 कॉल ऑप्शन ₹32 पर ट्रेड कर रहा है।
यहां, 900 कॉल पहले से ही 20 इन-द-मनी है, जो कि आंतरिक मूल्य है। जबकि, शेष 12 रुपयें 900 कॉल ऑप्शंस का समय मूल्य है जो समाप्ति के करीब आते ही क्षय हो जाता है। इसलिए ज्यादा इन-द-मनी ऑप्शन खरीदने से बचे, क्योंकि इनमें बहुत ज्यादा जोकिम होता है।
- ऑप्शन ग़्रीक को ठीक से समझों
कोई भी भाषा सीखने के लिए जैसे वर्णमाला होती है ठीक उसी प्रकार आप्शन ट्रेडर ग्रीक का उपयोग यह संदर्भ देने के लिए करते हैं कि बाजार में आप्शन की कीमतों में कैसे बदलाव की उम्मीद है, जो कि आप्शन ट्रेडिंग में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। सबसे आम संदर्भित डेल्टा, गामा और थीटा हैं।
हालांकि ये आसान ग्रीक आप्शन मूल्य निर्धारण में विभिन्न कारकों की व्याख्या करने में मदद कर सकते हैं और सामूहिक रूप से संकेत कर सकते हैं कि बाज़ार कैसे एक आप्शन की कीमत में बदलाव होता है हालांकि, इस बात की कभी भी 100% गारंटी नहीं होती है कि ये पूर्वानुमान सही होंगे।
- ऑप्शन ट्रेडिंग आपके वित्तीय लक्ष्यों(Financial Goals) से शुरू होती है
कई सफल ट्रेडर्स की तरह, आप्शन ट्रेडर्स को अपने वित्तीय लक्ष्यों और बाजार में वांछित स्थिति(Desired Position) की स्पष्ट समझ होती है। जिस तरह से आप पैसे के बारे में सोचते हैं, सामान्य तौर पर, आप कैसे आप्शन ट्रेडिंग करते हैं, इस पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
अपने खाते में पैसा लगाने और ट्रेडिंग शुरू करने से पहले आप जो सबसे अच्छी चीज कर सकते हैं, वह है अपने ट्रेडिंग लक्ष्यों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना।
इसलिए आप ट्रेडिंग से क्या चाहते है और किस तरह के ट्रेडर बनना चाहते है एंव साथ ही आप कैसे अपने लक्ष्यों को पूरा करोगो। ये आप दिमाग में बिल्कुल स्पष्ट होना चाहिए।
ऑप्शन ट्रेडिंग के फ़ायदे
किसी भी अन्य ट्रेडिंग स्ट्रेजी की तरह, ऑप्शंस ट्रेडिंग के अपने लाभ और कमियां हैं, और ट्रेडिंग में होने वाली महंगी गलतियों से बचने के लिए इन संभावित लाभों और जोखिमों को समझना महत्वपूर्ण है।
तो पहले बात करते है लाभ की:
- ऑप्शन ट्रेडिंग फ्लैक्सिबिलिटी के साथ-साथ लिक्विडिटी भी प्रदान कर सकता है।
- अन्य ट्रेडिंग विकल्पों की तुलना में, आप कम पूंजी के साथ ट्रेड करने में सक्षम हो सकते हैं।
- ऑप्शंस का उपयोग हेंजिग के लिए भी क्या जाता है जिससे आप अपने पोर्टफोलिओं को मार्केट में आने बाले उतार–चढ़ाव की बजह से आने वाले नुकसान से बच सकते है।
- ऑप्शंस का उपयोग आप किसी भी मार्केट कंडीशन में कर सकते है जो कि अन्य किसी में मुमकिन नही है।
ऑप्शन ट्रेडिंग के नुकसान
नुकसान की बात करें तो ऑप्शन ट्रेडिंग तो वह निम्नलिखित है:
- ऑप्शन ट्रेडिंग व्यक्तिगत स्टॉक, ईटीएफ या बांड खरीदने की तुलना में अधिक जोखिम भरा हो सकता है।
- किसी भी स्टॉक मूल्य के मूवमेंट की भविष्यवाणी करना मुश्किल हो सकता है और यदि आपका अनुमान गलत हो जाता है, तो ऑप्शन ट्रेडिंग आपको गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।
- इसके लिए स्टॉक या इंडेक्स का विश्लेषण करना इक्विटी स्टॉक से अलग होता है जिसके लिए ज़रूरी है की आप डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग के संपूर्ण ज्ञान के साथ ही इसमें ट्रेड करें।
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे सीखें?
आप्शन ट्रेडिंग उच्च रिटर्न की संभावना के साथ-साथ आपके पोर्टफोलियो में विविधीकरण(Diversification) जोड़ सकते हैं। लेकिन याद रखें, किसी भी निवेश में जोखिम होता है।
यह निर्धारित करना शुरू करने से पहले कि क्या ऑप्शन आपके लिए उपयुक्त हैं, जोखिमों को समझना एक अच्छा विचार है। उन लाभों को समझना महत्वपूर्ण है जो इस प्रकार के ट्रेडिंग से भी जुड़ सकते हैं। आप्शंस ट्रेडिंग में ढील देकर, आप जल्दी से अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं और अपनी नौसिखिया स्थिति को पीछे छोड़ सकते हैं।
तो यहाँ सवाल आता है कि ट्रेडिंग कैसे सीखें तो उसके लिए आप Stockpathshala में stock market course in hindi कर सकते है। यहाँ पर आप अलग-अलग सेगमेंट से जुड़े ऑडियो, वीडियो और टेक्सटुअल कोर्स ले सकते है और उसके आधार पर स्टॉक मार्केट में ट्रेड कर सकते है।
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