अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करते है तो आपको पता ही होगा कि एक निवेशक के लिए कंपनी की बैलेंस शीट को समझना कितना अहम है। बैलेंस शीट के दो जरुरी पहलू होते है पहला ऐसेट और दूसरा लायबिलिटी। एसेट का अर्थ, कोई भी वह चीज़ जो कंपनी को वैल्यू प्रदान कर रही हो, लेकिन लायबिलिटीज़ क्या होती है? आज इस लेख में हम Liabilities meaning in hindi को विस्तार में समझेंगे।
लायबिलिटी मीनिंग इन हिंदी
बैलेंस शीट फॉर्मूला को समझा जाये तो उसका उसके लिए दो मुख्य पैरामीटर होते है, एसेट और लायबिलिटीज।
ऐसेट का मतलब संपत्ति होता है, उसके विपरीत लायबिलिटीज का अर्थ देनदारियां, दायित्व, कर्जा या ऋण है।
लायबिलिटीज का मतलब है कि आपके ऊपर किसी तरह का दायित्व है जैसे ऋण जो आपको किसी दूसरे पक्ष को देना है।
अगर इसे शेयर मार्केट के संदर्भ में समझें तो कोई कंपनी या संस्था किसी दूसरी संस्था या कंपनी को कोई अमाउंट या प्राइस का भुगतान करती है तो उसे लायबिलिटीज कहते है।
आसान शब्दों में समझें तो कोई एक कंपनी अपने ऐसेट को दूसरी कंपनी को देती है तो उसे ही लायबिलिटीज कहते हैं।
इस तरह से यह एक कंपनी के लिए एसेट बन जाएगी और दूसरी कंपनी के लिए लायबिलिटीज हो जाएगी।
Types of Liabilities in Hindi
लायबिलिटीज को भी दो वर्गो में बॉटा गया है। वह इस प्रकार है –
- करेंट लायबिलिटीज ज (Current Liabilities)
- नॉन करेंट लायबिलिटीज ज (Non-Current Liabilities)
Current Liabilities Meaning in Hindi
इस तरह की लायबिलिटीज को एक सीमित समय में यानि कि एक साल या उससे कम समय में भुगतान करना पड़ता है.
ये एक तरह का शॉर्ट टर्म लायबिलिटीज भी है।
उदाहरण के लिए, जैसे आपने किसी रिश्तेदार से कुछ समय के लिए उधार लिया हो वो आपके लिए एक लायबिलिटीज बन जाएगी।
जबकि एक कंपनी के लिए रोजमर्रा की गतिविधियों को ऑपरेट करने के लिए जाने वाले कर्ज को करेंट लायबिलिटीज कहते हैं।
करेंट लायबिलिटीज को शॉर्ट टर्म लायबिलिटीज भी कहा जाता है जिसमें अकाउंट पेयबल, इंट्रेस्ट पायबले, इनकम टैक्स पायबले, बैंक अकाउंट ऑवरडाफ्ट, Accrued खर्चे और शॉर्ट टेर्म लोंस आदि शामिल है।
अभी तक हम Current Liabilities Meaning in Hindi को समझ चुके है अभी इसमें शामिल प्रत्येक टेर्म के अर्थ को समझते है।
- अकाउंट पेयबल: यह कंपनी के वह बिल है जो अभी तक वेंडर्स को भुगतान नही किए गए है। अकाउंट पायबले बहुत सी कंपनियों के लिए सबसे बड़ी कंरट लायबिलिटीज मानी जाती है।
- इंट्रेस्ट पेयबल: व्याज देय (Interest payable), कंपनी की बैलेंस शीट पर लायबिलिटीज वाले कॉलम में दिखाया जाता है जो कि कंपनी द्वारा ऋण आदि पर दिए गए इंट्रेस्ट को दर्शाता है।
- इनकम टैक्स पेयबल: प्रत्येक कंपनी पर भारत सरकार द्वारा टैक्स लगाया जाता है, अगर कोई कंपनी एक वर्ष के अंदर अपने टैक्स को नही भरती है तो वह टैक्स की रकम लॉन्ग टेर्म लायबिलिटीज में वर्गीकृत की जाती है।
- बैंक अकाउंट ऑवरडाफ्ट: यह एक तरह का शॉर्ट टर्म लोन है, जो कि बैंक की तरफ से उपलब्ध कराया जाता है।
- Accrued खर्चे: ये कंपनी के उन खर्चो को दर्शाता है जो कंपनी द्वारा भुगतान किए जाने से पहले ही उसके वित्तीय रिकॉर्ड में दर्ज किए गए हैं। इस तरह के खर्चो को Accrued खर्चे में रिकॉर्ड किया जाता है।
शॉर्ट टेर्म लोंस: ऐसे लोन जो कंपनी एक वर्ष से कम अवधि के लिए लेती है, ये लोन शॉर्ट टेर्म लोन में आते है।
Non-Current Liabilities Meaning in Hindi
नॉन करेंट लायबिलिटीज ज वह लायबिलिटीज ज होती है जो एक साल से अधिक समय में चुकानी है।
माना XYZ कंपनी अपने विस्तार के लिए बैंक से 10 करोड़ रुपये का लोन लेती है, जहां पर बैंक का लोन 5 सालो के अंदर चुकाया जाना है इसके साथ ही कंपनी को 10 करोड़ रुपये पर बैंक को ब्याज भी देना होगा। इस तरह की लायबिलिटीज को नॉन करंट ऐसेट कहा जाता है।
नॉन करेंट लायबिलिटीज ज को लॉन्ग टर्म लायबिलिटीज ज भी कहा जाता है जिसमें बॉन्ड्स पेयवल , लॉन्ग टेर्म लोंस, डेफर्ड टैक्स लायबिलिटीज ज, लॉन्ग टेर्म लीज और डेफर्ड रिवेन्यु आदि शामिल है।
अभी तक हम Non Current Liabilities Meaning in Hindi को समझ चुके है अभी इसमें शामिल प्रत्येक टेर्म का मतलव समझते है।
- बॉन्ड्स पेयबल: पैसे के लिए कंपनियां बॉन्ड्स जारी करती है फिर जो लोग बॉन्ड्स को खरीदते है उन्हे बांड्स को बेचने पर बांड का पैसा वापिस करना होता है । ये समान्यत: एक वर्ष से ज्यादा के लिए होता है।
- लॉन्ग टेर्म लॉस: लॉन्ग टेर्म लॉस वह लोन होते है जो कंपनी अपने विस्तार या अन्य खर्चो को पूरा करने के लिए किसी बैंक से लम्बी अवधि के लिए लेती है यानि कि ऐसा लोन जो कि एक साल से अधिक वर्षो के लिए लिया गया हो।
- डेफर्ड टैक्स लायबिलिटीज: ये उन टैक्स को रिकॉर्ड करती है जो अभी बकाया है और कंपनी द्वारा एक फ्युचर तारिख तक उन टैक्स को चुकाने का कोई इरादा नही है। एक निश्चित तिथि पर टैक्स भुगतान किया जाना था, लेकिन नही किया गया। इसलिए वह टैक्स डेफर्ड टैक्स लायबिलिटीज में शामिल किए गए है।
- लॉन्ग टेर्म लीज: इसका मतलब है, कि कोई कंपनी अपने लिए कोई ऑफिस या कुछ ओर लम्बी अवधि के लिए Lease पर लेती है जिसके लिए कंपनी को भुगतान करना होता है।
- डेफर्ड रिवेन्यु: डेफर्ड रिवेन्यु वह रिवेन्यु कहलाते है जो किसी कंपनी द्वारा उन वस्तुओं या सेवाओं के लिए प्राप्त किए गए फ्युचर भुगतानों पर लागू होता है जिन्हें भविष्य में प्रदान किया जाना है। इसलिए इसे unearned revenue भी कहा जाता है।
निष्कर्ष
प्रत्येक निवेशक के लिए कंपनी की वैलेंस सीट को समझना बहुत जरुरी है इसलिए हमने बैलेंस सीट के दोनो पहले Asset Meaning in Hindi(इसे हमने पिछ्ले लेख में कवर किया है) और Liabilities Meaning in Hindi को आसान भाषा में आपके सामने पेश किया है हमें उम्मीद है कि आप इसके अर्थ को अच्छे से समझ पाए होंगे।
स्टॉक मार्केट या उससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातो को समझने के लिए शेयर मार्किट कोर्स ले और अपने ज्ञान को बढ़ाये।
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