अगर आप स्टॉक मार्केट या आईपीओ में निवेश करते है तो आपने कभी न कभी आईपीओ ग्रे मार्केट और आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम का नाम जरुर सुना होगा। इसलिए आज हम आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या है और कैसे काम करता है, विस्तार में समझते है।
ग्रे मार्केट एक समानांतर मार्केट है जहां स्टॉक्स में अनऔपचारिक तरीके से ट्रेड होता है। ये जब होता है जब कोई कंपनी अपना आईपीओ लेकर आती है।
चलिए आईपीओ ग्रे मार्केट और आईपीओ ग्रे मार्केट प्रीमियम के बारे में विस्तार से समझते है।
आईपीओ ग्रे मार्केट क्या है?
ग्रे मार्केट को समझने से पहले हम ये समझ लेते है कि मार्केट कौन–कौन से होते है। मार्केट को तीन वर्गों में बांटा जा सकता है।
- वाइट मार्केट (White Market):- यह एक ओपन मार्केट है, जहां सारी ट्रेडिंग गतिविधि रूल्स एंड रेगुलेशंस के अनुसार होती है। जैसे कि स्टॉक मार्केट, जिसे सेबी रेगुलेट करता है और सारी ट्रेडिंग गतिविधि नियम और कानून के अनुसार होती है।
- ब्लैक मार्केट (Black Market):- एक ब्लैक मार्केट उन सामानों से संबंधित है जो आमतौर पर आयात शुल्क और अन्य शुल्कों से बचने के लिए देश में तस्करी कर लाए जाते हैं। जो कि पूरी तरह से गैर कानूनी होता है। इसके बहुत से ऐसे काम है जो गैर कानूनी तरीके से किए जाते है वह ब्लैक मार्केट की श्रेणी में आते हैं।
- ग्रे मार्केट (Gray Market):- एक आईपीओ ग्रे मार्केट वह मार्केट है जहां किसी कंपनी के शेयरों की बोली लगाई जाती है और ट्रेडर्स द्वारा अनौपचारिक(Unofficial) रूप से शेयर प्राइस पेश किए जाते है। यह किसी कंपनी द्वारा आईपीओ में शेयर जारी किए जाने से पहले होता है।
चूंकि यह एक Unofficial Market है, इसलिए इसमें कोई नियम और कानून नहीं होते हैं। इसमें सेबी जैसे रेगुलेटर शामिल नहीं होते हैं। इसके अलावा सेबी इसका समर्थन भी नहीं करता है।
ग्रे मार्केट आमतौर पर व्यक्तियों के एक छोटे समूह द्वारा चलाए जाते हैं। जिसमें सभी सौदे आपसी विश्वास पर आधारित होते हैं।
ग्रे मार्केट का एक आसान उदाहरण एक छोटा व्यवसाय है जो किसी विशेष कंपनी का माल बेचता है, अब भले ही वे मार्केट में अधिकृत डीलर न हों। लेकिन इसमें यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि ऐसा करने वाले छोटे व्यवसाय कानूनी संस्थाएं हैं।
इसलिए ये वाइट मार्केट और ब्लैक मार्केट का मिला जुला रुप होता है जिस कारण से इसे Parallel market भी कहते है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम क्या होता है?
ग्रे मार्केट प्रीमियम जिसे जीएमपी (GMP) के नाम से भी जाना जाता है, जीएमपी एक प्रीमियम राशि है जिस पर ग्रे मार्केट आईपीओ में शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने से पहले कारोबार किया जाता है।
अगर आसान शब्दों में कहें तो IPO लाने वाली कंपनी का स्टॉक शेयर मार्केट के बाहर भी खरीदा और बेचा जाता है। ये खरीद-बिक्री ग्रे मार्केट में होती है।
ग्रे मार्केट जीएमपी दर्शाता है कि लिस्टिंग के दिन आईपीओ कैसे प्रतिक्रिया कर सकता है। उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी आईपीओ ला रही है और वह अपने शेयर का प्राइस 100 रुपये पैश करती है और ग्रे मार्केट प्रीमियम लगभग 20 रुपये है तो उस आईपीओ की लिस्टिंग लगभग 120 रुपये पर होगी।
जीएमपी कोई पक्की गारंटी नही देता है लेकिन ज्यादातर मामलों में, जीएमपी सही से काम करता है और आईपीओ प्राइस प्रीमियम के आसपास सूचीबद्ध होता है।
ग्रे मार्केट प्रीमियम और कुछ नहीं बल्कि वह कीमत है जिस पर ग्रे मार्केट में शेयरों का कारोबार किया जा रहा है।
ग्रे मार्केट में एक सामान्य डील कैसे काम करती है, समझते है-
इसे एक और उदाहरण से समझते हैं।
माना राहुल एक शेयर मार्केट ट्रेडर हैं। राहुल को आने वाले आईपीओ में कंपनी की तरफ से एक निश्चित मूल्य पर 500 शेयर आवंटित किए गए हैं।
इसी बीच अन्य निवेशक भी हैं, जिन्हें खरीदार कहा जाता है, जो सोचते हैं कि शेयर की प्राइस इशु प्राइस से बहुत अधिक है। इसलिए ये खरीदार ग्रे मार्केट में शेयरों पर प्रीमियम देने को तैयार हो जाते हैं। ग्रे मार्केट के डीलर जैसे राहुल, निवेशकों से संपर्क करते हैं और शेयरों को एक निश्चित कीमत (प्रीमियम) पर बेचने का सौदा करने का फैसला करते हैं जो कि आईपीओ के इशु प्राइस से अधिक है।
अब यदि राहुल को सौदा पसंद है और वह स्टॉक की लिस्टिंग के दिन जोखिम लेने को तैयार नहीं है, तो वह अपने शेयर बेचकर, लाभ बुक कर सकता है।
यहाँ पर मान लेते है की शेयर की प्रीमियम वैल्यू 150 रुपये रखी गई है तो राहुल (500*150) 75000 रूपये प्रीमियम प्राप्त करेगा अब अगर लिस्टिंग वाले दिन शेयर कर प्राइस 250 रुपये पहुंच जाता है तब भी राहुल को उस प्राइस पर शेयर बेचकर निवेशक को पूरी राशि देनी होगी।
लेकिन अगर शेयर का प्राइस कम वैल्यू में लिस्ट होता है तब राहुल प्रीमियम से कमाई हुए राशि से मुनाफा कमा सकते है।
निष्कर्ष
जैसा कि पहले बताया गया है, कि ग्रे मार्केट एक Unofficial Market है। जिसमें कि एक निवेशक के लिए, ग्रे मार्केट को एक इंडीकेटर के रूप में देखा जा सकता है कि स्टॉक सूचीबद्ध होने के बाद कैसा प्रदर्शन कर सकता है।
अगर ग्रे मार्केट प्रीमियम की वैल्यू ज़्यादा है तो उससे ये अनुमान लगाया जाता है की स्टॉक का लिस्टिंग प्राइस ज़्यादा होगा और दूसरी तरफ GMP की कम वैल्यू कम लिस्टिंग प्राइस और मुनाफा दर्शाती है ।
स्टॉक मार्केट में निवेश करना जोखिमों से भरा होता है और इसलिए ज़रूरी है कि आप सही ज्ञान और समझ के साथ ही इसमें निवेश करे। तो अगर आप एक सही शुरुआत करना चाहते है तो अभी ऑनलाइन शेयर मार्केट कोर्स ले और सही स्टॉक में निवेश कर अपने मुनाफे और रिटर्न को बढ़ाये।
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