जिस तरह से आप अपने घर, स्वास्थ्य, गाड़ी आदि का बीमा करवाते है, ठीक उसी तरह से अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग करते है तो आपको शेयर बाजार में नुकसान से बचने के लिए हेजिंग का विकल्प प्रदान किया जाता है। आज इस लेख में हम hedging meaning in hindi के बारे में चर्चा करेंगे।
Hedging Meaning in Stock Market in Hindi
हेजिंग शेयर बाजार में कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करने या बेअसर करने का एक तरीका है। हेजिंग को स्टॉक मार्केट मे एक बीमा के रूप में प्रयोग किया जाता है ।
उदाहरण के लिए, जब आप एक नई कार खरीदते हो तो साथ में उसका बीमा भी करवाते हो जो एक साल के लिए मान्य होता है।अगर एक साल के अंदर आपकी कार का एक्सीडेंट होता है तो उसमें होने वाले नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी के द्वारा की जाती है।
इसी तरह से स्टॉक मार्केट में होने वाले नुकसान से बचने के लिए हेजिंग का इस्तेमाल किया जाता है, जो निवेशको के लिए एक बीमा का काम करता है।
इसे समझने के लिए मान लेते है कि कोई निवेशक अच्छे से रिसर्च करता है और XYZ कंपनी के शेयरों को 100 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से खरीदता है और निवेशक को लगता है कि आने वाले दो सालों में कंपनी के शेयरों की कीमत 200 रुपये तक हो जायेगी।
लेकिन एक साल बाद उस कंपनी के शेयरों की कीमत नीचे की ओर जाने लगते है तो इस स्थिति में निवेशक तीन चीज़ें कर सकता है:
- शेयरों की कीमतों को गिरने दे और उम्मीद करे कि शेयर अपनी उसी कीमत पर पहुंच जाए जिस क़ीमत पर निवेशक ने वो शेयर खरीदे थे।
- मौजूदा कीमत पर शेयरों को बेच दे।
- निवेशक अपनी पोसिशन को हेज कर सकते है ।
पहली स्थिति में निवेशक कुछ ना करने का फैसला करता है और अगर स्टॉक की कीमत 100 रुपये से 75 रुपये तक पहुंच जाती है तो निवेशक यह मान लेता है कि एक दिन स्टॉक की कीमत वापस 100 रुपये तक पहुँच जाएगी, तो जब स्टॉक की कीमत 100 रुपये पहुंचनी है तो उसके लिए हेज करने की कोई जरूरत नहीं है।
लेकिन अगर स्टॉक की कीमत 100 रुपये से 75 रुपये तक पहुंचती हैं तो इसका मतलब है कि स्टॉक की कीमतों में 25% की गिरावट आई है और आप यह जानते है कि अगर स्टॉक की कीमत एक बार नीचे गिर जाती है तो उसे वापस ऊपर पहुंचने में अधिक समय लगता है।
इसलिए जब भी बाजार की स्थिति बिगड़ रही हो तो हेज करने का विकल्प ही सही रहता है
दूसरे विकल्प में निवेशक अपने शेयरों को बाजार में मौजूदा कीमतों पर बेच देता है और बाद में उसी शेयर को कम कीमत में खरीदने के लिए सोचता है, लेकिन कम कीमत पर खरीदने के लिए उसको पहले तो बाजार पर लगातार नजर रखनी होगी और सही समय पर स्टॉक को खरीदना होगा, जो कि आसान नहीं होता है।
इसके साथ ही निवेशक को हर बार स्टॉक को खरीदने और बेचने के लिए ट्रांजैक्शन शुल्क देना होता है।
इन सभी समस्याओं की वजह से स्टॉक मार्केट में होने वाले नुकसान या उतार-चढ़ाव से बचने के लिए अपनी पोजीशन को हेज करना एक अच्छा विकल्प होता है अगर आप अपनी पोजीशन को हेज करते हैं तो बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव का आप पर ज्यादा असर नहीं पड़ता है।
अपने स्टॉक को हेज कैसे करते है ?
स्टॉक मार्केट में अपनी पोजीशन को हेज करना आसान है, इसको हम एक उदाहरण की मदद से समझ सकते है।
मान लीजिए कि आप शेयर बाजार में लंबे समय के लिए टाटा मोटर्स के 100 शेयरों को 400 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर खरीदते हैं। जिसका मतलब है कि आप मार्केट मे 40000 रुपये का निवेश करते हैं। लेकिन फिर आपको पता चलता है कि टाटा मोटर्स के तिमाही रिजल्ट जल्दी ही आने वाले हैं और रिजल्ट को लेकर आप चिंतित हो जाते हैं कि अगर रिजल्ट अच्छा नहीं आया तो क्या होगा।
स्पॉट बाजार में हो सकने वाले इस नुकसान से बचने के लिए आप अपनी पोजीशन को हेज करने का फैसला लेते हैं और स्पॉट बाजार में अपनी पोजीशन को हेज करने के लिए आप फ्यूचर्स मार्केट में एक शॉर्ट पोजीशन ले लेते हैं।
फ्यूचर्स में शॉर्ट का सौदा कैसा बनाते है?
फ्यूचर्स पर शॉर्ट @ 402 रुपये
लॉट साइज = 100
कुल कॉन्ट्रैक्ट की कीमत = 40200 रुपये
अब आपके पास टाटा मोटर्स में स्पॉट बाजार और फ्यूचर बाजार में दो अलग-अलग पोजीशन है जो दो अलग-अलग कीमतों पर बनाई गई है लेकिन कीमत से ज्यादा महत्व यह बात रखती है कि दोनों पोजीशन को विपरीत दिशा मे बनाया गया है।
अब इसका मतलब यह है कि आपको न तो ज्यादा नुकसान होगा और न ही हानि।
अब हम कुछ अलग-अलग कीमतों को लेंगे और देखेंगे कि टाटा मोटर्स के उन कीमतों पर पहुंचने पर आपकी पोजीशन पर क्या असर पड़ेगा।
कीमत | स्पॉट लॉन्ग P&L | शॉर्ट फ्यूचर्स P&L | कुल P&L |
300 | 300-400= -100 | 402-300= +102 | -100+102= +2 |
340 | 340-400= -60 | 402-340= +62 | -60+62= +2 |
390 | 390-400= -10 | 402-390= +12 | -10+12= +2 |
420 | 420-400= +20 | 402-420= -18 | +20-18= +2 |
अब स्टॉक की कीमत ऊपर जाए या नीचे जाए, आपकी पोजीशन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इस पोजिशन को न्यूट्रल पोजीशन कहा जाता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में हेजिंग कैसे करें?
जो लोग ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में जानते हैं उन्हें पता होता है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में हम एक छोटा-सा प्रीमियम अमाउंट दे कर, एक पूरा लॉट बुक कर सकते हैं इस प्रीमियम अमाउंट को देने के बाद, आपको उस लॉट के लिए एक अंतिम तिथि दी जाती है।
उदाहरण के लिए, अब आप एक ऐसा स्टॉक देखते हैं जिसके बारे में आपको पता है कि यह कुछ दिनों में अच्छी मूवमेंट करेगा। लेकिन आपको यह नहीं पता कि यह ऊपर की तरफ जाएगा या नीचे की तरफ। तो आप ऐसी स्थिति में उस स्टॉक को उसकी वर्तमान कीमत पर हेज कर सकते हैं।
इसके लिए आप उस स्टॉक के दो लॉट को विपरीत दिशा में बुक करना होगा यानी एक लॉट को कॉल और दूसरे लॉट को पुट की पोजीशन खरीदनी होगी।
अब या तो स्टॉक ऊपर की तरफ जाएगा या नीचे की तरफ अगर स्टॉक ऊपर की तरफ जाता है तो आप ऊपर की पोजीशन से लाभ उठा सकते हैं और अगर स्टॉक नीचे की तरफ जाता है तो आप पुट की पोजीशन से मुनाफा कमा सकते है।
इस तरह से ट्रेडिंग में हेजिंग की मदद से अच्छा लाभ कमाया जा सकता है
निष्कर्ष
स्टॉक मार्केट में हेजिंग को एक बीमा के रूप में प्रयोग कर सकते है और बाज़ार में होने वाले जोखिमों से खुद को सुरक्षित कर सकते है।
अगर आप स्टॉक मार्केट के विषय में कुछ जानना चाहते या स्टॉक मार्केट में कैसे निवेश करते है इन सबके लिए आप स्टॉक मार्केट कोर्स के लिए अभी हमारी एप को डाउनलोड करें।
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