शेयर बाजार में लिस्टेड कंपनियां अक्सर उधम मचाती हैं और सुनिश्चित करती हैं कि इंवेस्टर्स के पास अच्छा प्रॉफिट (मुनाफा) और रिवार्ड्स (पुरस्कार) हासिल करने के सभी अवसर हों। एक लोकप्रिय तरीका है जिसमें कंपनियां अपने शेयरहोल्डर्स को लाभांश (लाभ का हिस्सा) का भुगतान करती हैं। लेकिन उन पर तीन बार टैक्स लगाया जाता है, इसलिए बहुत सी कंपनियां अब बायबैक पर निर्भर हैं। लेकिन शेयरों का बायबैक (buyback of shares meaning in hindi) वास्तव में क्या है?
आइए एक नजर डालते हैं शेयरों के बायबैक पर और वे कैसे काम करते हैं।
शेयरों के बायबैक का अर्थ
बायबैक जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि जब कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स से शेयरों को दुबारा खरीदती है और आमतौर पर ये खरीद अधिक कीमत पर होती है। इसे शेयरों की पुन:खरीद भी कहा जाता है।
अब, कई कारण हैं कि कोई कंपनी बायबैक का विकल्प क्यों चुनती है, लेकिन इसके पीछे मूल विचार मूल्यांकन (वैल्यूएशन) को बढ़ाना देना होता है। यह एक ऐसा तरीका है जिससे कोई कंपनी अपने आप में ही इंवेस्ट करती है। शेयरों के बायबैक से मार्केट में शेयरों की संख्या कम हो जाती है और इसे अक्सर शेयरहोल्डर्स को पुरस्कृत करने का टैक्स-इफेक्टिव (कर–प्रभावी) तरीका माना जाता है।
अब एक कंपनी दो तरीकों से शेयरों की पुन:खरीद कर सकती है: ओपन मार्केट या टेंडर रिक्वेस्ट (अनुरोध) के माध्यम से।
- ओपन मार्केट
यह तब होता है जब कंपनी सीधे सेकेंडरी मार्केट से इक्विटी शेयर खरीदती है। इस मामले में, कंपनी शेयर को मार्केट प्राइस पर ही खरीदती है। यह एक कंपनी के लिए सबसे आम तरीकों में से एक है और बहुत ही सुविधाजनक है।
- टेंडर रिक्वेस्ट
शेयरों को वापस खरीदने का दूसरा तरीका टेंडर रिक्वेस्ट है। इसमें कंपनी अपने शेयरहोल्डर्स को अपने शेयर बेचने के लिए एक टेंडर फॉर्म भेजती है। ऑफर में बायबैक की पूरी जानकारी होती है।
इंवेस्टर अपने शेयरों का एक हिस्सा छोड़ सकते हैं और उस कीमत का उल्लेख कर सकते हैं जो वे प्राप्त करने को तैयार हैं। कंपनी सभी टेंडर फॉर्म प्राप्त करने के बाद, एक उपयुक्त कीमत की तलाश करते हैं और फिर शेयर खरीदते हैं।
इसलिए, शेयरों की बायबैक आमतौर पर कुछ दिनों तक चलती है और इस अवधि के दौरान एक इंवेस्टर को इसके लिए आवेदन करना होता है। शेयरों की बायबैक से जुड़ी एक रिकॉर्ड तारीख होती है। यह एक समय सीमा के रूप में कार्य करता है और इसका तात्पर्य है कि जिस किसी के पास उस तिथि तक कंपनी के शेयर हैं, वही केवल बायबैक में अपने शेयर बेचने के योग्य है।
उदाहरण के लिए, यदि बायबैक की रिकॉर्ड तिथि 3 अप्रैल 2022 है, तो कोई भी इंवेस्टर जिसके पास उस तारीख को या उससे पहले कंपनी के शेयर हैं, वह बायबैक के लिए पात्र (एलिजिबल) है।
TCS और GAIL जैसी कंपनियों के साथ शेयरों के बायबैक ने लोकप्रियता हासिल करना शुरू कर दिया है। शेयर एक अनुपात के अनुसार जारी किए जाते हैं। यदि कंपनी द्वारा जारी अनुपात 10:1 है, तो कंपनी के आपके पास मौजूद प्रत्येक 10 शेयरों पर 1 शेयर बायबैक के लिए पात्र होगा।
अनुरोध की स्वीकृति के बाद एक इंवेस्टर को उनके ट्रेडिंग खाते में नकद राशि मिल जाती है। अब, जब हम शेयरों के बायबैक का अर्थ जानते हैं, तो आइए चर्चा करें कि शेयरों के बायबैक के संभावित कारण क्या हो सकते हैं।
शेयरों बायबैक के कारण
यदि कोई कंपनी सेकंडरी मार्केट से अपने स्वयं के शेयरों को दुबारा खरीदने का सोच रही है, तो उसके कुछ कारण होते है। आइए शेयरों की बायबैक लाने के कंपनी के विचार के पीछे छिपे कुछ उद्देश्यों पर एक नजर डालते हैं।
1. शेयरों की संख्या में कमी– किसी कंपनी के बायबैक के लिए जाने का एक प्रमुख कारण मार्केट में शेयरों की संख्या को कम करना है। इससे आखिरकार मार्केट में स्टॉक की मांग बढ़ जाती है, जिससे इंवेस्टर्स को इसका लाभ मिलता है।
2. कंपनी के स्वामित्व को मजबूत करना – जब आप किसी कंपनी का शेयर खरीदते हैं, तो आपको कुछ अधिकारों के साथ कंपनी का आंशिक स्वामित्व (ओनरशिप) भी मिलता है। इससे कंपनी के प्रमोटर की ओनरशिप कंपनी में कम होती रहती है। अपने इसी स्वामित्व को मजबूत करने के लिए कंपनी बाय बैक का प्लान लेकर आती है।
3. कंपनी के मूल्यांकन में सुधार – ज्यादातर समय, कंपनी शेयरों की बायबैक का विकल्प तब चुनती है, जब उन्हें लगता है कि कंपनी का वर्तमान में कम मूल्यांकन (वैल्यूएशन) है। यदि कोई कंपनी अपने शेयरों को अधिक कीमत पर दुबारा खरीदती है, तो यह इंवेस्टर्स को विश्वास दिलाता है कि कंपनी के बढ़ने की संभावना है। यह आगे कंपनी को ना केवल कंपनी के मूल्यांकन को सुधारने में मदद करता है बल्कि इंवेस्टर्स का ध्यान आकर्षित करने में भी मदद करता है।
4. फंडामेंटल हेल्थ को बढ़ावा देना– जब कंपनी शेयरों को कम कर रही होती है, तो वह कंपनी के ईपीएस (प्रति शेयर आय) को बढ़ाती है। इससे कंपनी के अन्य फंडामेंटल रेशियो (मौलिक अनुपातों ) में भी सुधार होता है। इसलिए, शेयरों की बायबैक वास्तव में कंपनी के फंडामेंटल हेल्थ (fundamental analysis in hindi) में सुधार कर सकती है।
5. शेयरहोल्डर्स के लिए एक इनाम– प्रत्येक इंवेस्टमेंट जो एक शेयरहोल्डर करता है वह भविष्य में लाभ प्राप्त करने के मकसद से करता है। बायबैक शेयरहोल्डर्स को उनके विश्वास और इंवेस्टमेंट के लिए पुरस्कार के रूप में पैसा वापस देने का एक तरीका है। लाभांश के विपरीत, बायबैक पर कोई तीन–स्तरीय टैक्स नहीं है। तो यह कंपनी के लिए कर्मचारियों को पुरस्कृत करने का एक बेहतर और टैक्स–इफेक्टिव (कर-प्रभावी) तरीका है।
ये प्रमुख कारण हैं कि कोई कंपनी शेयरों की बायबैक का विकल्प चुनती है। लेकिन क्या कंपनी या इंवेस्टर्स के लिए शेयरों के बायबैक का कोई मूल्य या लाभ है? आइए इस पर एक नजर डालते हैं।
शेयरों बायबैक के लाभ
शेयर बायबैक से जुड़े कई फायदे हैं, और शेयर बायबैक के खेल में बड़े नामों का जुड़ना इसका प्रमाण है। तो आइए इस पूरी प्रक्रिया के फायदों के बारे में जानते हैं ।
- शेयरों के बायबैक से कंपनी के वैल्यूएशन में सुधार होता है। जब कोई कंपनी सोचती है कि उसकी कंपनियों के शेयरों का वैल्यूएशन कम है, तो वे शेयरों की पुन:खरीद का चयन करते हैं। तो, बायबैक की पूरी प्रक्रिया कंपनी की वैल्यू को सुधारती है।
- यह इंवेस्टर्स के बीच विश्वास भी बनाता है कि कंपनी के पास उच्च विकास क्षमता और भविष्य की महान योजनाएं हैं या नहीं।
- बायबैक शेयरहोल्डर्स को पुरस्कृत करने का एक टैक्स–इफेक्टिव तरीका है। शेयरों के बायबैक के विपरीत, लाभांश पर तीन बार टैक्स लगाया जाता है। तो यह कंपनी के लिए एक सुविधाजनक विकल्प बन जाता है।
- जब कंपनी बायबैक की घोषणा करती है, तो बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति (सप्लाई) के कारण शेयरों की कीमतों में अचानक वृद्धि होती है। कुछ ट्रेडर्स के लिए यह अवसर काफी फायदेमंद हो सकता है।
- मार्केट में शेयरों की संख्या में कमी से ईपीएस (प्रति शेयर आय) में वृद्धि होती है। यह कंपनी की प्रतिष्ठा पर सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।
अब, ये सभी लाभ शेयरों की बायबैक को एक दिलचस्प अवसर बनाते हैं।
शेयरों के बायबैक के नुकसान
अगला सवाल यह है कि क्या शेयर बायबैक के केवल फायदे हैं? इसका जवाब ना है। कुछ कमियां भी हैं जो शेयर बायबैक के पूरे विचार और प्रक्रिया को बाधित कर सकती हैं।
- शेयरों की पुन:खरीद की एक बहुत बड़ी कमी यह है कि यह कंपनी के मूल्यांकन (वैल्यूएशन) का गलत अनुमान दे सकता है। ऐसी संभावनाएं हो सकती हैं जहां कंपनी सही मूल्यांकन या भविष्य की संभावनाओं में एक या दो अंक चूक सकती है।
- शेयर का बायबैक मार्केट में शेयरों की संख्या को कम करता है और इसलिए आपूर्ति (सप्लाई) में गिरावट का कारण बनता है। इससे शेयरों की कीमतें अचानक बढ़ जाती हैं जो इंवेस्टर्स को झूठा भ्रम दे सकती हैं।
- कीमत में अचानक वृद्धि से ईपीएस, आरओई आदि जैसे कुछ मौलिक अनुपात (फंडामेंटल रेशियो) भी बढ़ जाते हैं। यह इंवेस्टर्स और ट्रेडर्स के लिए गलत संकेत भी पैदा कर सकता है।
ये सभी कारण अक्सर एक इंवेस्टर को अपने शेयरों की बायबैक का विकल्प चुनने वाली कंपनी से दूरी बनाए रखने का कारण बन सकते हैं।
शेयरों के बायबैक के लिए आवेदन कैसे करें?
अब जब आप जानते हैं कि बायबैक क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं। अगली बात पर विचार करना है कि आप शेयर बायबैक के लिए कैसे आवेदन कर सकते हैं। लेकिन इससे पहले आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आप आवेदन करने के योग्य हैं या नहीं। शेयर बायबैक के लिए अप्लाई करने से पहले कुछ बातें जो आपको ध्यान रखनी होंगी।
- आपके पास उस विशेष कंपनी के शेयर रिकॉर्ड तिथि या उससे पहले के होने चाहिए।
- एंटाइटलमेंट रेशियो (पात्रता अनुपात) के अनुसार शेयरों की कम से कम न्यूनतम संख्या रखने की सलाह दी जाती है। उदाहरण के लिए, यदि अनुपात 5:1 है, तो इसका मतलब है कि उस कंपनी के आपके पास मौजूद प्रत्येक 5 शेयरों के लिए, आप केवल एक शेयर के बायबैक के लिए पात्र (एलिजिबल) होंगे। इसलिए जरूरी है कि आपके खाते में उस कंपनी के कम से कम 5 शेयर हों।
लेकिन बायबैक में शेयर बेचने की प्रक्रिया क्या है? आइए हम उन चरणों पर एक नज़र डालते हैं जिनका ध्यान आपको शेयरों की बायबैक के लिए आवेदन करने पर करना होगा:
- अपने लॉगिन क्रेडेंशियल के साथ अपने ट्रेडिंग ऐप में लॉग इन करें।
- डैशबोर्ड पर वांछित विकल्प पर क्लिक करें।कई ट्रेडिंग एप में, आपको कॉर्पोरेट एक्शन नाम का एक टैब दिखाई देगा।
- अब आप देखेंगे कि कंपनी के शेयर बायबैक के लिए उपलब्ध हैं।
- कंपनी द्वारा जारी ट्रेंडर रिक्वेस्ट फॉर्म भरें। सामान्य विवरण में डीपी आईडी, शेयरों की संख्या आदि शामिल हैं।
- जब आप पुन:खरीद के लिए आवेदन करते हैं तो कुछ ब्रोकर टीपीआईएन भी मांगते हैं।
एक बार जब आपने फॉर्म को भर दिया और जमा कर दिया, उसके बाद आपको सिर्फ शेयर की पुन:खरीद की प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
शेयरों के बायबैक से कंपनी को अपने मूल्यांकन (वैल्यूएशन) को बढ़ावा देने में और कुछ लक्ष्यों तक पहुंचने में मदद मिल सकती है। लेकिन यह तभी संभव है जब कंपनी अपने भविष्य और ग्रोथ प्रॉस्पेक्टस का सही अनुमान लगाए। यह एक नया कांसेप्ट है लेकिन आप शेयर मार्केट सीख सकते हैं और ऐसी हर स्थिति को सर्वश्रेष्ठ बना सकते हैं।
इसके अलावा, आप स्टॉक मार्केट कोर्स के माध्यम से अधिक से अधिक स्टॉक मार्केट कांसेप्ट से परिचित हो सकते हैं। स्टॉक पाठशाला ऐप पर विभिन्न पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। आप इसे डाउनलोड कर सकते हैं और सीखना शुरू कर सकते हैं!
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